5 Hindi short stories with moral – कहानियाँ शिक्षा के साथ

Hindi short stories with moral : क्या आप अपने बच्चे को कहानियां सुनाना चाहते हो? अगर आप सोच रहे हो की कहानियां के साथ कुछ शिक्षा मिल जाये तो बच्चों के लिए अच्छा होगा. तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. क्यूंकि ये लिख में आपको शिक्षा के साथ कहनियाँ मिलने वाला है.

Hindi short stories with moral

hindi short stories with moral

1.      एक किसान और उसके बेटे

कहानी : एक किसान के तीन बेटे थे. सभी स्वस्थ और हट्टे-कट्टे थे. लेकिन वे हमेशा आपस में लड़ते-झगड़ते रहते और इसी में अपना समय और शक्ति नष्ट कर देते थे. पिता की सीख पर उनका ध्यान नहीं जाता. वे पिता की सलाह हमेशा सुनी-अनसुनी कर देते थे.

एक बार किसान बहुत बीमार पड़ा. उसने अपने नौकर से सुखी पतली लकड़ियों का एक गट्ठर लाने कहा. जब लकड़ियों का गट्ठर आ गया, तो उसने अपने तीनों बेटों को बुलाने के लिए भेजा. जब बेटे उसके पास आ गए, तो किसान ने तीनों से लकड़ी के गट्ठे को तोड़ने के लिए कहा. तीनों ने अपनी-अपनी भरसक कोशिश की और समूची ताकत लगा दी, लेकिन उनमें से कोई गट्ठर को न तोड़ सका.

अब किसान ने नौकर से लकड़ियों का गट्ठा खोल देने को कहा और लड़कों को एक-एक लकड़ी तोड़ने के लिए कहा. गट्ठा के खुलते ही लकड़ियाँ अलग-अलग बिखर गई.

इस पर उस वृद्ध किसान ने कहा, “मेरे प्यारे बच्चों, इस अनुभव से एक सबक सीखो. जब तक तुम एक रहते हो, तुम्हारा कोई कुछ बिगड़ नहीं सकता. बिखरते ही बिनाश निश्चित है.”

उस दिन के बाद उन बेटों का कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ.

शिक्षा : एकता में शक्ति है. एकता ही बल. 

2.     चींटी और झींगुर

कहानी : एक जवान झींगुर था. वह गर्मियों और वसंत के सुहावने दिनों में गाना गाता रहता था. उस समय उसे खाने के लिए पर्याप्त भोजन आसानी से मिल जाता था. उसे कोई चिंता नहीं थी. लेकिन कुछ दिनों के बाद सर्दियों शुरू हो गई. समूची जमीन बरफ से ढक गई. पेड़ों पर फूल और पत्तियाँ तक नहीं बचीं. अब उसे खाने को कुछ नहीं मिला.

नजदीक ही बहुत-सी चींटियाँ रहती थी. उन्होंने गर्मियों और वसंत में कड़ी मेहनत करके सर्दियों के दिनों के लिए काफी भोजन इकट्ठा कर लिया था.

जब झींगुर भूखा मरने लगा, तो वह एक चींटी के पास पहुँचा और उसने गिड़गिड़ा कर उसे कुछ भोजन उधार देने को कहा. चींटी ने साफ इंकार कर दिया. चींटी ने झींगुर से पूछा कि क्या उसने गर्मियों के दिनों में कुछ भोजन सर्दियों के दिनों के लिए इकठ्ठा नहीं कर लिया था? झींगुर ने कहा कि उन दिनों तो वसंत अपने पुरे यौवन पर था, इसलिए वह सारे समय गाता ही रहा.

चींटी ने उत्तर दिया, “यदि  तुम वसंत और गर्मियों भर गाते रहे हो-तो तुम इन सर्दियों भर नाचते रहो.” ऐसा कहकर उसने उस बेवकूफ झींगुर को निकाल बाहर किया.

शिक्षा :       

  • बिना तकलीफ के कोई लाभ नहीं होता.
  • हमें अवसर का हमेशा लाभ उठाना चाहिए.
  • मुसीबत के दिनों के लिए कुछ बचा कर रखना चाहिए.

3.     दो कंजूस

कहानी : बड़ा सुहावना दिन था. दो कंजूस कहीं जा रहे थे. एक कुएं पर उनकी मुलाकात हो गई. उन्होंने अपने-अपने थैलों से रोटियाँ निकाली और खाना खाने के लिए आराम से बैठ गए.

पहले कंजूस ने अपना घी का बर्तन निकाला और अपने सामने रख लिया. उसने एक रोटी लेकर उसे घी के बर्तन छुआ दिया. उसने नाममात्र का घी रोटी पर लगाया.

दूसरा कंजूस हँसा. पहले कंजूस ने उससे हँसने का कारण पूछा. दूसरे कंजूस ने उत्तर दिया, “घी इस्तेमाल करने के मेरे तरीके को देखा. तुम अपना घी बराबर कर रहे हो.” इस पर पहले कंजूस ने पूछा, “ऐ दोस्त! तुम घी कैसे इस्तेमाल करते हो?” दूसरे कंजूस ने घी बिलकुल नहीं लगाया. लेकिन रोटी का हर टुकड़ा अपने मूँह में रखने से पहले वह उसे केवल घी के बर्तन की और दिखा देता था. पहला कंजूस यह देख कर बड़ा प्रसन्न हुआ. उसने भी अपने मित्र की ही भाँति घी का इस्तेमाल शुरू कर दिया.

शिक्षा : कंजूसी सभी के लिए एक अभिशाप है. 

4.      किसान और साँप     

कहानी : जाड़े का मौसम था. एक दिन तीसरे पहर खूब बरफ पड़ी. एक बूढ़ा किसान अपने घर लौट रहा था. उसे रास्ते में एक साँप मिला. वह कड़ाके की ठण्ड से जम गया था. किसान को सांप पर दया आ गई और वह उसे अपनी छड़ी पर लटका कर घर ले आया.

जमे हुए सांप को देखकर कर किसान के बच्चे बड़े प्रसन्न हुए और जलती हुई आग सामने उससे खेलने लगे. जलती हुई आग की गर्मी के प्रभाव से कुछ समय बाद ही साँप में जीवन देखने लगे.

 अब साँप धीरे-धीरे रेंगने लगा. किसान को यह देखकर बड़ा अचम्भा हुआ कि साँप ने अपना सिर उठा लिया और फुंफकार कर उसके एक बच्चे को काटने के लिए लपका. किसान को बड़ा गुस्सा आया. उसने साँप को अपनी छड़ी से तत्काल मार डाला.

शिक्षा : किसी का स्वभाव नहीं बदला जा सकता.

5.     भेड़िया और मेमना

कहानी : एक भेड़िया पानी पीने के लिए एक चश्में के किनारे गया. वह भूखा भी था. जब वह पानी पी रहा था, तो उसे एक मेमना दिखाई पड़ा. मेमना भी चश्में से नीचे की ओर पानी पी रहा था. मेमने को देखकर भेड़िये के मुँह में पानी भर आया और उसे खाने की इच्छा जाग पड़ी. उसने सोचा, “कितना सुन्दर मांसल मेमना है. इसे खाकर मेरी तृप्ति हो जाएगी.” तब उसने मेमने से झगड़ा करने की ठान ली. इसलिए वह झगडे के लिए किसी बहाने की तलाश करने लगा. वह मेमने के पास जाकर बोला, “ऐ ! दुष्ट मेमने, तुमने पानी गन्दा क्यों कर दिया? क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता कि में पानी पी रहा हूँ?”

इस पर मेमने ने बड़ी शांति से उत्तर दिया, “श्रीमान ! पानी तुम्हारे पास से होकर मेरे पास आ रहा है. में तुमसे नीचे की ओर हूँ. में तुम्हारे पानी को कैसे गन्दा कर सकता हूँ.” इस पर भेड़िये ने कहा, “तुमने मुझे पिछले वर्ष गालियाँ क्यों दी थीं?” मेमने ने फिर बड़ी शांति से उत्तर दिया. “श्रीमान ! मैं तो एक वर्ष पहले पैदा भी नहीं हुआ था.” इस पर भूखा भेड़िया गुर्राया और बोला, “तो वह निश्चय ही वह तुम्हारा पिता रहा होगा.”

शिक्षा : दुष्ट व्यक्ति जे सामने कोई तर्क नहीं ठहरता

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