राष्ट्र निर्माण में छात्रों की भूमिका पर निबंध

Rashtra nirman mein chhatron ki bhumika par nibandh: समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में छात्र समाज की भूमिका अपरिहार्य है। छात्र समाज अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है। छात्रों में नये जोश, नयी प्रेरणायें प्रकट होती हैं। देश से अराजकता, भ्रष्टाचार और कट्टरता दूर होता है। परंतु यदि विद्यार्थी अपने कर्तव्यों को भूल जाए तो देश की उन्नति संभव नहीं है। हाल के राष्ट्र निर्माण में छात्र समाज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राष्ट्र निर्माण में छात्रों की भूमिका पर निबंध

प्रस्तावना

भारतीय सामाजिक परंपरा में छात्रों समाज की युगों-युगों से महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्राचीन काल में विद्यार्थी गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करते हुए सीखते थे कि किस प्रकार समाज के कल्याण में संलग्न रहा जाए। शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्धि प्राप्त करते थे और तुरंत समाज को सही दिशा देते थे। उनकी ऊर्जा और बुद्धि का उपयोग समाज के विकास के लिए किया जाता था। पौराणिक कथाओं, इतिहास से लेकर इस छात्र समाज की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों का दर्शन हमें होता है। अतः भारतीय सामाजिक व्यवस्था में विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका प्राचीन काल में ही पहचानी जाती थी।

स्वतंत्रता से पहले छात्रों की भूमिका:

आजादी से पहले छात्र समाज की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने छात्रों से स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का आह्वान किया था। उनकी पुकार में आत्मा का जुनून था, दिल के छिपे कोनों की अशांति थी, मातृभूमि की सेवा में खुद को समर्पित करने की उत्सुकता थी। छात्र गांधीजी के आह्वान से प्रेरित हुए और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। छात्रों ने संघर्ष के मैदान में देश को स्वतंत्र कराने की शपथ ली। 1942 की महान ऐतिहासिक अगस्त क्रांति में छात्र समाज की भूमिका सराहनीय था।

स्वतंत्रता के बाद विद्यार्थी की भूमिका:

आजादी के बाद राष्ट्र निर्माण में छात्र समाज की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। आज़ादी से पहले वे अंग्रेज शासन के ख़िलाफ़ थे; लेकिन आज़ादी के बाद उन्हें राष्ट्रीय सरकार के प्रगतिशील कार्यों को आवाज़ देनी होगी। अब छात्र समाज को रचनात्मक कार्य करना होगा। छात्रों को महान कर्तव्य के प्रति सचेत रहना होगा। छात्र संगठन के कर्तव्य बहुआयामी हैं।

राजनीति

छात्रों को अपने भविष्य के लिए राजनीति में शामिल होना जरूरी नहीं है। छात्रों का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना है। यदि वे वास्तविक ज्ञान प्राप्त कर राजनीति के क्षेत्र में उतरें तो कोई दिक्कत नहीं है। इसलिए महात्मा गांधी ने कहा था – For the students, there should be no party politics. There should be no socialist, communist, congress or other groups among students. They should be all students first & last, determined together as much knowledge as possible and that for the sake of getting jobs. इसके बावजूद शुद्ध एवं स्वच्छ राजनीति सदैव वांछनीय है। आज राजनीति राष्ट्र सेवा के बजाय व्यक्तिगत सेवा बन गई है। छात्र समुदाय को ऐसी राजनीति को विरोध करना चाहिए। विश्व राजनीति में छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को कभी नकारा नहीं जा सकता। अब भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार प्रवेश कर चुका है, इसलिए इसे केवल छात्र समुदाय के सीधे हस्तक्षेप से ही हल किया जा सकता है।

देश की रक्षा

स्वतंत्र भारत के छात्रों का कर्तव्य है कि वे देश को बाहरी आक्रमणों से बचायें। भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना होगा। आज भारत सीमा पार आतंकवाद से परेशान है। पड़ोसी देशों की गतिविधियां अक्सर भारत के लिए चिंता का कारण बनी रहती हैं। इसलिए छात्र समाज को सैन्य बलों में शामिल होकर देश को रक्षा करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

सामाजिक सेवा

समाज सेवा विद्यार्थी जीवन का मुख्य कर्तव्य होना चाहिए। उन्हें न केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए बल्कि अवकाश के दौरान समाज की सेवा करने की भी पहल करनी चाहिए। देश में वर्ग संघर्ष, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, छुआछूत आदि को समाप्त करने के लिए विद्यार्थी समाज को सशक्त नेतृत्व करना होगा। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में छात्र समाज का भी बहुत महत्व है।

भ्रष्टाचार की निवारण

आज के भारत के आसमान पर भ्रष्टाचार का बादल छा गया है। शासन के सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार है। छात्रों को इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए। भ्रष्टाचार को मिटाना होगा। छात्रों को भ्रष्टाचार रोकने के लिए पुलिस, जनता और सरकार की मदद करनी चाहिए।

कर्तव्यों का पालन

छात्रों को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। यदि वे अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन करें तो देश और राष्ट्र समृद्ध हो सकता है। छात्र देश की रीढ़ है। देश को उनसे बहुत उम्मीदें हैं।

आपातकालीन स्थितियों में भूमिका

आपातकाल के समय छात्र समाज की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में बैठकें करनी चाहिए और लोगों के मन में राष्ट्रवाद और एकता जगानी चाहिए। सैन्य बलों में शामिल होकर देश को जोखिम मुक्त होने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।

निष्कर्ष

आजादी के बाद देश में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हुई है। पड़ोसी देश भारत के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहे हैं। आज विभिन्न समस्याएँ भारत की एकता को खतरे में डाल रही हैं। ऐसे समय में विद्यार्थियों को राष्ट्र के निर्माण में अपना कर्तव्य निर्धारित करना चाहिए। यह देश मेरा जन्मस्थान है। एक छात्र के रूप में देश के प्रति मेरा कर्तव्य है – यही भावना छात्रों को प्रेरित करनी चाहिए। पाठ्यपुस्तकों में देश की महान अतीत की परंपराओं, गौरव और प्रगति की तस्वीर प्रस्तुत की जानी चाहिए, ताकि छात्र देश के कल्याण में खुद को शामिल कर सकें।

आपके लिए:-

तो ये था राष्ट्र निर्माण में छात्रों की भूमिका पर निबंध। अंत में बस इतना ही लिखना चाहूँगा, स्वतंत्र भारत में छात्र समाज के विविध कर्तव्य है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि छात्र समुदाय के दृढ़ संकल्प, प्रतिबद्धता, आदर्शवाद और अनुशासन के माध्यम से भारत कई क्षेत्रों में प्रगति कर सकता है। मुझे उम्मीद है की राष्ट्र निर्माण में छात्रों की भूमिका पर लिखा गया ये निबंध आपको पसंद आया होगा।

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