गौतम बुद्ध की जीवनी – Biography of gautam Buddha in Hindi

दोस्तों आज आप गौतम बुद्ध की जीवनी (Gautam Buddha biography in Hindi) के बारे में जानेंगे. जैसे गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था, उनका लालन-पालन कैसे हुआ था और सबसे मुख्य भाग उनका सिद्धांत किया था.     

गौतम बुद्ध की जीवनी – Biography of gautam Buddha in Hindi

भूमिका

भारत वर्ष में जब-जब धर्म का असली तत्व लुप्त होने लगता है, समाज में धर्म के नाम पर आडम्बर, अंध-विश्वास, तंत्र-मंत्र, पाखण्ड का बोला-बाला होने लगता है और लोग सच्चे धर्म के लिए भटकने लगते हैं. तब ऐसी विकट व विषम परिस्थिति में किसी महापुरुष का जन्म होता है, जो तत्कालीन भटकते हुए मानवों को सद्पथ दिखाकर एक नूतन मत का सूत्रपात करता है. ऐसी ही विकट व अत्यंत विषम परिस्थिति में गौतम बुद्ध का जन्म हुआ. उन्होंने अपने समय में व्याप्त पाखंड व कुरीतियों को दूर कर समाज को सद्पथ दिखाने के लिए बौद्ध धर्म की स्थापना की.

जन्म तथा वंश परिचय   

महात्मा बुद्ध का जन्म ई० पूर्व 623 वर्ष में शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोदन के यहां राजधानी कपिलवस्तु में हुआ. उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था. उनकी माता का नाम माया देवी था. अत्यन्त बाल्यावस्था में ही माता का देहांत होने पर विमाता प्रभावती ने उनका लालन-पालन किया. उनका जन्म होने पर प्रसिद्ध ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की कि “सिद्धार्थ बड़ा होकर या तो चक्रवर्ती राजा होगा या विरक्त होकर विश्यविख्यात योगी बनेगा.” राजा शुद्धोदन चिंतित रहते थे कि उनका एक मात्र पुत्र योगी न बन जाये. इसलिए वे जानबूझकर उन्हें भोग-विलास व राजसी ठाठ में डालने लगे. उन्हें बचपन में ही शिक्षा के साथ धनुर्विद्या, मल्ल विद्या, घुड़सवारी आदि में पारंगत बना दिया गया.

गृहस्थ व वैराग्य

सिद्धार्थ में वैराग्य के बीज जन्मजात थे. वे विकसित होने के लिए वातावरण चाहते थे लेकिन उनके पिता उन्हें भोग-विलास में मस्त रखते थे. उनके लिए ऋतु के अनुकूल महल बनाये, आखेट आदि की सुबिधा प्रदान की लेकिन सिद्धार्थ का मन कुछ उखड़ा हुआ-सा रहता था. वे अधिकतर एकांत तथा आत्मचिंतन करना चाहते थे. युवा होने पर सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा नामक राजकुमारी से कर दिया गया. वे सुख व ऐश्वर्य से जीवन-यापन कर रहे थे. कुछ समय बाद उनका राहुल नामक एक पुत्र भी हुआ.

एक बार जब कुमार सिद्धार्थ भ्रमण को निकले तो उन्होंने मार्ग में बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को देखा. कुछ दूर आगे चलकर कमर झुके हुए वृद्ध व्यक्ति को देखा तथा थोड़ा आगे चलकर श्मशान को जाते हुए एक अर्थी को देखा. इन दृश्यों को देख कर कुमार ने सारे संसार को क्षणिक समझा. सुख, ऐश्वर्य व जवानी आदि को वे क्षणिक व नाशवान समझने लगे. अब उन्हें सत्य वस्तु अविनाशी तत्व की खोज थी. उन्हें सांसारिक वैभव से विरक्ति हो गयी. एक दिन रात्रि को एपीआई पत्नी व पुत्र राहुल को सोते हुए छोड़कर वे गृहस्थ का परित्याग कर घर से चले गये और सत्य वस्तु की खोज करने लगे.

कठोर तप व सत्य का बोध

सिद्धार्थ जगह-जगह भटकते हुए कई सतों व ज्ञानियों के संपर्क में गये. वे भयानक जंगलों में घूमते रहे. अब वे एकांत वन में तपस्या करने लगे लेकिन उन्हें फिर भी शांति नहीं मिली. अंत में गया के निकट एक बट वृक्ष के नीचे ध्यान मग्न होकर बैठ गये. सात दिन तक उनकी समाधि लगी रही और उनको सत्य का बोध हो गया. तब से वह स्थान भी ‘बोधि गया’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया. सत्य ज्ञान का प्रत्यक्ष बोध होने के अनन्तर वे ‘बुद्ध’ नाम से प्रसिद्ध हो गये. गया से वे काशी के निकट सारनाथ पहुंचे. वहां से उन्होंने अपने मत का प्रचार करना प्रारम्भ किया. उनके द्वारा प्रचारित मत ‘बौद्ध धर्म’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ. वे एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमण करते हुए अपने मत का प्रचार करते थे. 

बुद्ध के सिद्धांत व शिक्षाएं

बुद्ध जी के अनुसार संसार दुःखों से भरा है. दुख का कारण अज्ञानता है. उसके लिए सत्य दृष्टी, सत्य संकल्प, सत्य वचन, सत्य कर्म, सत्य जीवन निर्वाह, सत्य व्यायाम, सत्य स्मरण व सत्य समाधि का मार्ग अपनाना पड़ेगा. यह बौद्ध धर्म में अष्टांगिक मार्ग कहलाता है. सत्य, अहिंसा, सभी प्राणियों से समान व्यवहार, शुभ कर्म, सबकी सेवा ये पांच बुद्ध की शिक्षाएं हैं.

कुशीनगर के समीप 80 वर्ष की आयु में बुद्ध जी का परिनिर्वाण हो गया. उनके सिद्धांत व शिक्षाएं आज भी संसार के लोगों के लिए अनुकरणीय हैं.

आपके लिए :-

ये था संक्षिप्त में गौतम बुद्ध की जीवनी. उम्मीद है इन महात्मा की जीवनी से आपको कुछ न कुछ सिख तो जरूर मिला होगा. अगर आपको गौतम बुद्ध के बारे में और कुछ पता है जो यहाँ पे लिखा नहीं गया है, तो आप कमेंट में जरूर बताएं.

Leave a Comment