होली पर निबंध – Essay on holi in Hindi

होली पर निबंध (Essay on holi in Hindi): होली एक हिंदू त्योहार है. यह आमतौर पर मार्च में पड़ता है. आज आप इस निबंध में भूमिका, त्यौहार का समय, पौराणिक कथा, मनाने की विधि, विकृत परम्परा के बारे में जानेंगे. 

होली पर निबंध 200 शब्दों में

भारत के त्योहारों में रगों का त्योहार होली एक प्रमुख त्योहार है. यह फालगून मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह वसन्त ऋतु में मनाये जाने के कारण इसे वसन्त उत्सव भी कहते है.

किसान लोग बडे आनन्द से यह पर्व मनाते है. इसलिये होली को किसानों का त्योहार कहा जाता है.

होली के पीछे एक पौराणिक कथा है. पुराने जमाने में हिरण कशिपु नामक एक बडा अत्याचारी राजा था. वह ईश्वर का विरोधी था. पर उसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का बडा भक्त था. ईश्वर का नाम न रटने को पिता ने उसे बारबार आदेश दिया. बल्कि पुत्र ने पिता का आज्ञा नहीं मानी. पिताने गुस्से में आकर उन्हें मरवाने के कई उपाय किये. अंत में राजा प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका को गोद में बिठाकर आग लगा दी. होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी. परंतु उलटा ही हुआ. होलिका जल गई और भक्त प्रह्लाद का कुछ भी नहीं बिगडा.

होली एक रंगोली पर्व. लोग आनंद में एक दूसरे पर रंग फेंकते है. बच्चे से बूढे तक सब इस रंग खेल में लग जाते है. बच्चे पिचकारियाँ लेकर निकल पडते है. वे परिचित और अपरिचित लोगों को रंगा देते है.

यह एक पवित्र उत्सव है. सारे भारत में यह उत्सव बडी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व को उचित ढंग से मनाना चाहिए.


होली पर निबंध 600 शब्दों में – Essay on holi in Hindi 

भूमिकात्यौहार का समयपौराणिक कथामनाने की विधिविकृत परम्पराउपसंहार           

भूमिका

मनुष्य अपने दैनिक क्रियाकलापों में इतना तल्लीन रहता है कि उसको परिश्रम, परेशानी व दुखों का सामना करना पड़ता है. इन सब से छुटकारा पाने के लिए त्यौहार मनाये जाते हैं. होली का त्यौहार आनन्द व खुशियों का प्रतीक है. यह एक रंगों का त्यौहार है. रंग का अर्थ होता है आनन्द. जब आदमी के दिल में रंग होता है तो वह खुशी से झूम उठता है. दिल के आनन्द को बाहर के रंगों द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है. यही है होली के त्यौहार को मनाने की महत्ता.

त्यौहार का समय

होली का त्यौहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. शिशिर ऋतु की समाप्ति पर यह बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है. तब पतझड़ समाप्त हो जाता है. पेड़ पौधे व वनस्पतियों में नयी कोपलें फूटने लगती हैं. चहुं ओर रंग-बिरंगे पुष्प विकसित होने लगते हैं. सारी प्रकृति रंग-बिरंगी हो जाती है. वन, उपवन सब विविध रंगों से सराबोर हो जाते हैं. इन सब को देखकर मानव का अशांत मन खिलने लगता है. वह भी स्वयं प्रकृति की तरह रंग-बिरंगा होना चाहता है. वह आनंद में झूमने लगता है. बाहर और भीतर दोनों ओर से रंग से भर जाता है. उस असीम आनन्द को व्यक्त करने के लिए हम स्वयं रंग-बिरंगे हो जाते हैं और अन्य लोगों को भी अपनी तरह आनन्द करने के लिए रंग से भर देते हैं. 

पौराणिक कथा

प्राचीन काल में हिरण्याकश्यप नामक एक नास्तिक व घमंडी राजा था. उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था. इसी कारण वह उसको पसंद नहीं करता था. ईश्वर की भक्ति के लिए बार-बार मना करने पर भी जब वह नहीं माना तो उसने अपने पुत्र को मार डालने की योजना बनाई. होलिका नामक उसकी एक बहिन थी. उसके पास एक विशेष प्रकार के वस्त्र थे जिसको पहन कर वह आग में भी नहीं जल सकती थी. उसने उसी प्रकार का एक नकली वस्त्र प्रहलाद के लिए भी बनवाया. उन वस्त्रों को पहन कर प्रहलाद के साथ वह अग्नि की चिता में बैठ गई. दैव योग से नकली वस्त्र होलिका ने और असली वस्त्र ने पहन लिये. फलतः प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई. उसी दिन से शाम को होलिका जलाने की परम्परा बन गई जो बाद में एक ऋतु पर्व व रंगों का पर्व बन गया.

मनाने की विधि

होली, तिथि से कई दिन पूर्व से विविध मनोविनोद द्वारा मनानी आरम्भ हो जाती है. निश्चित तिथि फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है. गांव में कृषक लोग नये अन्न को समर्पित कर भूने हुये अन्न को परस्पर बांट कर खाते हैं. उसके बाद ही नये अन्न को खाने की परम्परा है. होलिका दहन के दूसरे दिन प्रातः से ही होली, रंग द्वारा खेली जाती है. हर कोई हर किसी के शरीर में गुलाल, रंग और अबीर डालता है. सड़कों पर टोलियां गाती, नाचती, गुलाल मलती, रंग भरी पिचकारियां छोड़ती दिखाई देती हैं. गांव, शहर चहुं ओर सब रंगों से रंग कर खुशियों में झूमने लगते हैं. सर्वत्र आनन्द की लहर उमड़ पड़ती है. जिस पर फैंका जाता है वह भी और जो रंग फैंकता है वह भी, दोनों हंसी की बौछारें छोड़ने लगते हैं.     

विकृत परम्परा

होली, जिसका उद्देश्य इतना महान है, जिसकी अभिव्यक्ति आनन्द है; उसका रूप अब विकृत हो गया है. वर्तमान काल में लोग शराब पीकर उच्छृंखलता प्रदर्शित करते हैं. नशे में चूर होकर लड़ाई, झगड़े के लिए तूल जाते हैं. कई स्थानों पर अपनी शत्रुता का बदला लेने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करते हैं. मथुरा, वृन्दावन जो रंगों के इस पर्व की जन्मस्थली है वहां पर लोग अब लोगों को डंडे और पत्थरों से मारते हैं. कहीं-कहीं पर गन्दी गाली देने की भी परम्परा हो गई है. अब इस आनन्द के त्यौहार में अनेक विकार पैदा हो गये हैं.   

उपसंहार           

होली भाई-चारे, एकता, प्रेम, खुशी व आनन्द का त्यौहार है. इसमें हर वर्ग का आदमी भाग लेकर एक दूसरे को गले लगाता है. आज के दूषित वातावरण में हमें इसमें उत्पन्न विकारों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए और गंदे लोगों को सामाजिक रूप से लज्जित करना चाहिए. इसकी प्राचीन परम्परा को उसी प्रकार सुरक्षित रखना चाहिए. 


होली पर निबंध हिंदी में 10 लाइन

  • होली भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है
  • यह हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है.
  • यह मार्च के महीने में पड़ता है.
  • लोग इस त्योहार मनाने के लिए खुद को तैयार करते हैं.
  • यह पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है.
  • इसकी उत्पत्ति भगवान श्रीकृष्ण के काल से होती है.
  • रंग के इस खेल में दोस्त और रिश्तेदार हिस्सा लेते हैं.
  • बच्चे छिड़कनेवाला यंत्र (Sprayers) से रंगीन पानी फेंकते हैं.
  • लोग एक दूसरे को गले लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं.
  • यह त्यौहार प्यार और दोस्ती का संदेश देता है.

आपके लिए:-

ये था होली पर निबंध (Essay on holi in Hindi). उम्मीद है आपको होली के ऊपर लिखा गया ये निबंध पसंद आया होगा. यह निबंध को शेयर करना न भूलें. धन्यवाद.

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