खेलकूद का महत्व पर निबंध
प्रस्तावना – खेलकूद का महत्व – स्वास्थ्य ही सच्ची सम्पति है – खेलों से हम क्या सीखते हैं? – उपसंहार
प्रस्तावना
खेलकूद शिक्षा का अनिवार्य अंग है. अच्छी शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास करना है. स्वस्थ शरीर में ही प्रखर मस्तिष्क रह सकता है. यदि कोई व्यक्ति शरीर से दुर्बल हो तो उसका दिमाग तेज नहीं हो सकता है. बीमार शरीर में मस्तिष्क कैसे स्वस्थ रह सकता है? शिक्षा में खेलकूद उतने ही आवश्यक है जितना पढ़ाई के लिए पुस्तकें. पुस्तकों से मन और आत्मा विकास होता है, जबकि खेलकूद से शरीर स्वस्थ और सबल बनता है.
खेलकूद का महत्व
खेलकूद से विद्यार्थियों में नेतृत्व, आज्ञा पालन, समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करना, खेल की भावना, साहस, सहनशीलता जैसे आवश्यक सद्गुणों का विकास होता है. साथ ही शरीर की अच्छी कसरत भी हो जाती है. उपर्युक्त गुणों से संपन्न, स्वस्थ शरीर के बालक ही आगे चलकर देश के योग्य नागरिक बन सकते हैं. देश-रक्षा के लिए सेना को ऐसे ही शक्तिशाली युवाओं की आवश्यकता होती है. भारत जैसा विकासशील देश विशाल नियमित सेना का खर्च नहीं उठा सकता. हमारे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने शरीर को सुदृढ़ बनायें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के दौरान वे सैनिकों के कन्धा-से-कन्धा मिलाकर देश-रक्षा में अपना योगदान दे सकें.
स्वास्थ्य ही सच्ची सम्पति है
‘स्वास्थ्य ही धन है’ एक पुरानी कहावत है, जो आज भी उतनी ही सच है. अनेक प्रकार के खेलकूदों के द्वारा विद्यार्थी अपने स्वास्थ्य और शरीर का निर्माण कर सकते है. इनके द्वारा स्वच्छ वायु और खुले वातावरण में अच्छी कसरत हो जाती है. सारे दिन पढ़ाई या काम करते-करते व्यक्ति खिन्न हो जाता है. खेलों के द्वारा यह खिन्नता और उदासी बड़ी आसानी से दूर हो जाती है और मन प्रफुल्लित हो जाता है. भारत को ऐसे किताबी कीड़ों की आवश्यकता नहीं है, जिनके गाल पिचके और आँखें घंसि हों. अच्छे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सभी बातों पर समुचित ध्यान दें. उसे पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए. लेकिन खेलकूद तथा अन्य गतिविधियों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए. उसे इस कहावत का पालन करना चाहिए कि “काम के समय काम और खेल के समय खेल. सुख और प्रसन्नता का यही मार्ग है.”
खेलों से हम क्या सीखते हैं?
खेलों से अनुशासन और खेल की सही भावना सीखते हैं. सच्चा खिलाड़ी हार और जीत से प्रभावित नहीं होता. वह खेलने के लिए खेल खेलता है. खेलों के माध्यम से ही हर्ष और शौक की बिना परवाह किए हम जीवन की राह पर चलना सीखते हैं. खेलों के द्वारा हमें हँसते-हँसते असफलता का सामना करना आ जाता है तथा सफलता से फूल नहीं उठते. खेलों के द्वारा ही हम जीवन की सही कला सीखते हैं, क्यूंकि हम भली-भांति जान लेते हैं कि जीवन संग्राम में वही विजयी हो सकता है जो धैर्यपूर्वक सतत प्रत्यनशील रहें. खेलों से हमारे चरित्र का निर्माण होता है. इससे हम में नेतृत्व कला के गुणों का विकास होता है. खिलाड़ी अपने प्यार, सद्भावना और ईमानदारी की भावना से टीम का कप्तान सदस्यों का मन जीत लेता है. खिलाडियों को अपने कप्तान की आज्ञा पालन करने की आदत भी पड़ जाती है. इस तरह खेलकूद के द्वारा श्रेष्ठ नागरिक तैयार होते हैं. इसके अलावा, विद्यार्थियों को नीरस पढ़ाई से इनके द्वारा छुटकारा मिलता है और उनका उत्साहवर्धन होता है. खेलों द्वारा खाली समय का सर्वोत्तम उपयोग होता है तथा किया जा सकता है. इनसे युवाओं की फालतू शक्ति का सही उपयोग यदि इसे खेलों में नहीं लगाया जाता, तो शरारतों और अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलता है. खाली दिमाग शैतान की कार्यशाला होता है. पढ़ाई के बाद के खली समय में विद्यार्थियों को व्यस्त रखने का यह बड़ा उपयोगी साधन है.
उपसंहार
बड़े नगरों के अधिकांश स्कूलों में खेलकूद की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होती. अधिकारियों को चाहिए कि वे खेलकूद पर अधिक ध्यान दें तथा अधिक धन की व्यवस्था करें. हर स्कूल के प्रत्येक विद्यार्थी को खेलकूद में अनिवार्य रूप से भाग लेने का प्रावधान किया जाना चाहिए. खेलकूदों के बिना शिक्षा अधूरी रह जाती है. विद्यार्थी को श्रेष्ठ नागरिक बनाने के लिए स्कूलों में खेलकूद को भी अपेक्षित महत्व दिया जाना चाहिए.
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