ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – Noise pollution essay in Hindi

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – Noise pollution essay in Hindi

प्रस्तावना

मनुष्य अपने कान की मदद से ध्वनि सुनता है. कुछ ध्वनियाँ मधुर हैं और कुछ ध्वनियाँ सुनने से चिड़चिड़ाहट होती है. जब जोर शोर के कारण सुनना असहनीय होता है, तब हम उसे ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) कहते हैं. ध्वनि मापन की एक विशेष इकाई है, जिसे डेसीबल कहा जाता है. शून्य डेसिबल में, मनुष्य कान में सुन सकता है. जब ध्वनि 140 डेसिबल से अधिक होता है, तो ध्वनि कान को कष्ट पहुँचता है. यदि ध्वनि 140 से अधिक डेसिबल सुनाई देते हैं, तो यह कान को नुकसान पहुंचाता है, और यह ध्वनि प्रदूषण का कारण बनता है.

ध्वनि प्रदूषण का कारण

आमतौर पर कारखाने की जोर-शोर से, वाहनों का चलने शोर, इंजन का शोर और इलेक्ट्रॉनिक्स हॉर्न की आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है. यह कानों के लिए बुरा है. बसों और ट्रकों का शोर (Gas horn), बादलों की आवाज, जेट इंजनों की आवाज, पटाखे की आवाज और बम विस्फोटों की तेज आवाज सभी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. माइक के साउंड बॉक्स से तेज आवाज सृष्टि होकर ध्वनि प्रदूषण होना एक आम बात बन गया है. दिवाली के दिन ध्वनि प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है.

ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव

ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बनता है. इसके दूरगामी दुष्प्रभाव अकल्पनीय हैं. ध्वनि प्रदूषण मन की शांति को बाधित करता है और मन को परेशान करता है. खराब ध्वनि एक व्यक्ति की नींद में हस्तक्षेप करती है. तेज आवाज के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है. धमनियां और नसें पतली हो जाती हैं और हृदय पर दबाव डालती हैं. लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के संपर्क में रहने से बहरापन हो सकता है. ध्वनि प्रदूषण के कारण मानव का याददाश्त कम हो जाती है. ध्वनि प्रदूषण छात्रों और परीक्षार्थियों को अनकही क्षति पहुंचा सकता है.

ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित कैसे करें

उद्योगों में, हवाई अड्डों और कार मरम्मत कारखानों के श्रमिकों को बहरेपन को रोकने के लिए कान सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए. इंजन के उचित रखरखाव, साइलेंसर लगाने से ध्वनि प्रदूषण को कुछहद तक रोका जा सकता है. विस्फोटकों के उपयोग पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. प्रदूषण कानूनों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है. प्रदूषकों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए.

सड़क किनारे पेड़ लगाकर ध्वनि प्रदूषण को रोका जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में, दिन में 75 डेसिबल और रात में 70 डेसिबल, व्यावसायिक क्षेत्र में दिन में 75 डेसिबल और रात में 70 डेसिबल, आबादी क्षेत्र में, दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल, अस्पतालों और स्कूलों के पास दिन में 50 डेसिबल और रात में 40 डेसीबल के बीच ध्वनि होना चाहिए.

निष्कर्ष

ध्वनि प्रदूषण को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. इस भयावह आपदा से मानवता की रक्षा के लिए सख्त सरकारी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. अन्य प्रदूषण की तुलना में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना आसान है. इसके लिए जन सहयोग और जन जागरूकता आवश्यक है.

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ये था short essay on noise pollution in Hindi (ध्वनि प्रदूषण पर निबंध). उम्मीद करता हूँ की ध्वनि प्रदूषण के बारे में अच्छे से पता चल गया होगा. मिलते है अगले लेख में. धन्यवाद.

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