भारतीय किसान पर निबंध – Essay on Indian farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi): भारत में 58 प्रतिशत लोग किसान हैं. किसान देश की रीढ़ हैं. किसान दिन-रात मेहनत करते हैं. उनके बिना, हमारा देश पूरी तरह से अधूरा है ; इसलिए तो किसान को देश की रीढ़ कहा जाता है.

भारतीय किसान पर निबंध – Essay on Indian farmer in Hindi

भूमिका

यह बात सब जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की 75 से 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. इसलिए कृषि को पैदा करने वाला किसान भारतीय प्रगति की रीढ़ की हड्ड़ी है. किसान सबके लिए अनाज पैदा करता है. अन्न के बिना मानव जीवन की अस्तित्व ही खतरे में है. अतः किसान सबका अन्न दाता, जीवन दाता है. भारत की समग्र अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है. इसलिए भारत के समग्र विकास के लिए कृषक का पूर्ण विकास आवश्यक है. लेकिन दुःख की बात है कि आज भी भारतीय किसान की दशा अत्यंत दयनीय है.

भारतीय किसान का जीवन

भारतीय किसान का जीवन अत्यंत कठोर है. उसके लिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, सर्दी-गर्मी, वर्षा सब एक समान हैं. खेत ही उसके जीवन का अभिन्न अंग है. वह सच्चा कर्मयोगी है, जिसको फल प्राप्ति के लिए ईश्वर पर पूर्ण निर्भर रहना पड़ता है. क्योंकि खेतों में कठोर परिश्रम कर देना ही उसका परम कर्त्तव्य है लेकिन फल पूर्ण रूप से ऊपर वाले के हाथ में है. लेकिन वह अपने कर्तव्य का पालन सदैव करता रहता है. अर्थात भारतीय कृषि वर्षा पर ही निर्भर करती है. यदि वर्षा सही समय पर सही रूप में हो जाये तो कृषि सही होगी अन्यथा अतिवृष्टि व अनावृष्टि से किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. इसलिए किसान के भाग्य का फैसला ऊपर वाले के हाथ में है. वह भीषण गर्मी में, ठिठुरती सर्दी में, मूसलाधार वर्षा में अपने ही खेतों में लगा रहता है. खेत ही उसका जीवन हैं. हल, बैल, हंसिया, कुदाल उसके संगी साथी हैं. भारतीय किसान कच्चे मिट्टी के मकानों में निवास करते हैं. पशु ही उनका परम धन है जो उनके टूटे-फूटे घरों में उनके साथ रहते हैं.     

अभावग्रस्त जीवन

भारत में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है. भारतीय किसान छल, प्रपंच से दुर बिल्कुल सीधा-साधा जीवन यापन करता है. वह शिक्षित नहीं होता है. उसके गांव में जो शिक्षित हो जाता है वह गांव छोड़कर शहर में चला जाता है, फिर गांव में रह जाता है वही पुराना, अभाव ग्रस्त, रूढ़ि ग्रस्त किसान जो अपनी प्राचीन परम्परागत पद्धति से ही कृषि करता है. उसके कठिन परिश्रम का फल अन्न, धनियों, पूंजीपतियों व सरकारी दलालों को मालो-माल बना देता है लेकिन भारतीय किसान वहीं दरिद्र नारायण बना रहता है. उसके पपास वही फटी धोती, फूटी कठोती, फटी पगड़ी ही रह जाती है. भूखा प्यासा किसान अपने कठोर परिश्रम में संलग्न हो जाता है. वह जन्म, मृत्यु, शादी और उत्सवों में इतना खर्च कर देता है कि जीवन भर धनियों का बंधक बन जाता है. कुरीतियां, रूढ़ियां, अंधविश्वास उसके दिल में घर कर जाते हैं जो उसे पीछे धकेलते रहते हैं.     

जय जवान जय किसान

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों का जीवन सुधारने के लिए और उनको प्रोस्ताहित करने के लिए देश का ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था. अब जब तक भारतीय किसानों की दशा नहीं सुधारी जाती तब तक भारतीय प्रगति भी अपूर्ण है. किसानों की स्थिति न सुधरने के कारण ही आजादी के इतने वर्षों के वाद भी देश प्रगति नहीं कर पाया है.

उपसंहार

हमारे देश की सरकार किसानों की बेहतरी पर बहुत पैसा खर्च कर रही है. उन्हें अच्छे बीज, अच्छे उर्वरक और कम ब्याज वाले कृषि ऋण उपलब्ध कराया गया है. उनके शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और नैतिक विकास के लिए प्रयास जारी है. आशा है कि भारतीय किसान इसका लाभ उठाएंगे.

आपके लिए:-

ये था भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi). उम्मीद है भारतीय किसानों के बारे में ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अंत में बस इतना कहूंगा की, आज भारत सरकार को भारत के विकास के लिए भारत के किसान की ओर ध्यान देना होगा. किसान को विशुद्ध आधुनिक किसान बनाकर उसको दरिद्रता से मुक्ति दिलानी होगी. अगर आपके मन में हमारे किसान भाइयों बहनों को लेकर कुछ सवाल है, तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं. मिलते है अगले निबंध में. धन्यवाद.

Leave a Comment