प्रदर्शनी पर निबंध – Essay on Exhibition in Hindi [500 Words]

आज में आपके लिए प्रदर्शनी पर निबंध (Essay on exhibition in Hindi) लेकर आया हूँ. प्रदर्शनी मेला हमारे देश के लगभग हर राज्य में आयोजित किया जाता है. आज इस निबंध में मैंने अपने देश की राजधानी में आयोजित एक प्रदर्शनी के बारे में बताया है. यदि आप कभी किसी प्रदर्शनी में गए हैं, तो आप निबंध में अपनी अनुभूति का वर्णन कर सकते हैं.

प्रदर्शनी पर निबंध – Essay on Exhibition in Hindi [500 Words]

भूमिका

मनुष्य के लिए बुद्धि विकास के अनेक साधन विद्यमान हैं, जैसे- पढ़कर, सुनकर व देखकर वह अपने ज्ञान की बृद्धि करता है. किसी वस्तु के बारे में पढ़कर या सुनकर हमें उतना ज्ञान हासिल नहीं हो सकता जितना उस चीज को देखकर प्राप्त कर सकते हैं. किसी वस्तु को देखने से उसका प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त हो जाता है. किसी वस्तु के ज्ञान की वृद्धि के लिए या उसका महत्त्व प्रतिपादित करने हेतु उसको सार्वजानिक प्रदर्शन के लिए रखा जाता है. विविध प्रकार की वस्तुओं को सार्वजानिक रूप से प्रदर्शित करने को प्रदर्शनी कहते हैं. आजकल राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर की भी प्रदर्शनियां लगती हैं. प्रदर्शनी में बहुधा उत्तम श्रेणी की वस्तुएं ही रखी जाती हैं. हमारे देश में भी प्रतिवर्ष दिल्ली में विविध प्रकार की प्रदर्शनियां लगती हैं.

प्रदर्शनी का प्राचीन रूप

प्रदर्शनी का प्राचीन रूप पैंठ व मिले थे. प्राचीन काल में समय-समय पर विभिन्न स्थानों में पैंठ लगती थी. उसमें विभिन्न उत्तम वस्तुएं तथा कृषि से संबंधित वस्तुएं विक्रय के लिए आती थीं. पैंठ व मेले भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं. पशु मेले में अच्छे से अच्छे पशुओं का प्रदर्शन होता था, जिनको खरीदने के लिए दूर-दूर से व्यापारी आते थे. इसी प्रकार अन्न व उत्तम प्रकार की सब्जियां, फल, पौधे आदि की पैंठ लगती थी. उसका रूप अब भी हमें ग्रामीण क्षेत्रों में यत्र-तत्र दिखाई देता है. 

आधुनिक रूप

आधुनिक युग में सारा विश्व एक बाजार बन गया है. हम कहीं निश्चित जगह पर प्रदर्शनी लगाकर, वहां सारे विश्व की चीजों को देख सकते हैं. ऐसी प्रदर्शनियां बड़े शहरों में जैसे दिल्ली, बम्बई, कलकत्ता, मद्रास आदि जगह पर लगती हैं. प्रदर्शनियां भी अलग-अलग प्रकार की होती हैं. जैसे कृषि प्रदर्शनी, व्यापर प्रदर्शनी, पुस्तक प्रदर्शनी आदि. प्रदर्शनियों में नयी-नयी व उत्तम प्रकार की वस्तुएं सजाकर रखी जाती हैं ताकि देखने वाले हर व्यक्ति को अत्यधिक आकर्षक कर सकें. 

प्रदर्शनी का वर्णन

दिल्ली देश की राजधानी है. इसलिए यहां प्रतिवर्ष शीत ऋतु में किसी न किसी प्रदर्शनी का आयोजन होता है. प्रदर्शनी देश की प्रगति का सूचक होती है. इसलिए दिल्ली में जिस स्थल पर प्रदर्शनी लगती है उस जगह का नाम प्रगति मैदान है. यह मैदान दिल्ली में उच्चतम न्यायलय के पूर्व में मथुरा रोड पर स्थित है जो पुराने किले तक एक विस्तृत भू-भाग में फैला है. यहां पर हर साल राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियां लगती हैं. जब समाचार पत्रों में इसकी पूर्व सूचना मिलती है तो सारे देश के लोग उसको देखने के लिए जाते हैं. ये प्रदर्शनियां हर साल अलग-अलग होती हैं. कभी कृषि मेला, व्यापर मेला और कभी पुस्तक मेला लगते रहते हैं. यहाँ पर सारे मंडप बने हैं. अंतराष्ट्रीय प्रदर्शनी में प्रत्येक मंडप अलग-अलग देशों का होता है. उन मंडपों में उन देशों की वस्तुएं देखने व विक्रय के लिए रखी होती हैं. राष्ट्रीय प्रदर्शनी में अलग-अलग प्रांतों के अलग-अलग मंडप होते हैं. उन मंडप में उन प्रांतों की संस्कृति व परम्पराओं की झलक भी दिखाई देती है. प्रदर्शनी में विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन व कार्यक्रम भी पेश किये जाते हैं. में भी अपने मित्रों के साथ दो तीन बार प्रगति मैदान में प्रदर्शनी देखने के लिए जा चूका हूँ. 

उपसंहार

प्रदर्शनी के द्वारा हमें सारे विश्व की उत्तम कोटि की वस्तुओं का ज्ञान हो जाता है. चाहे हम उनको न खरीद सकें, पर उनको देखने से ज्ञान वृद्धि होती है. अतः ऐसी प्रदर्शनियों को सदैव देखना चाहिए. 

आपके लिए:-

ये था प्रदर्शनी पर निबंध (Essay on exhibition in hindi). अगर आपको हमारा ये 500 शब्दों वाला निबंध पसंद आया है, तो अपने सहपाठियों शेयर करना न भूलें. और आप हमें बता सकते हैं की आपको किस प्रकार के प्रदर्शनी मेला देखना पसंद है. मिलते है अगले एक नया निबंध में. धन्यवाद.  

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