रेल यात्रा पर निबंध – Train Journey Essay In Hindi [600 Words]

आज में आपके लिए रेल यात्रा पर निबंध (Train Journey Essay In Hindi) लेकर आया हूँ. मैंने इस निबंध में अपनी रेल यात्रा का वर्णन किया है. अगर आपने कभी ट्रेन से यात्रा की है तो इस निबंध को पढ़कर आप आसानी से अपनी यात्रा के बारे में बता सकते हैं. स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं में कई बार रेल यात्रा पर निबंध (Essay on train journey in Hindi) लिखने को कहा जाता है.

रेल यात्रा पर निबंध – Train Journey Essay In Hindi [600 Words]

भूमिकाचेन्नई जाने का कार्यक्रमरेलवे स्टेशन का दृश्ययात्रा का अनुभवउपसंहार

भूमिका

यात्रा करने के लिए मनुष्य की अभिरुचि प्रारम्भ से ही रही है. प्रारम्भ में जब यातायात के साधनों का विकास नहीं हुआ था तब अधिकतर लोग पैदल ही दूर प्रदेशों की यात्रा करते थे. चीनी यात्री ह्यूनसांग और फाहियान पैदल ही भारत की यात्रा पर आये थे. इसी प्रकार गुरु नानक तथा अन्य संत महापुरुषों ने पैदल ही यात्राएं कीं. आधुनिक युग में द्रुतगामी यातायात के साधनों का विकास हो चुका है. विभिन्न साधनों में रेल यात्रा एक सुगम व आराम प्रद यात्रा है. में बसों से कई बार दूर-दूर तक की यात्रा कर चुका हूँ लेकिन मुझे रेल से यात्रा करने का अवसर कभी नहीं मिला था. इस बार की यात्रा मैंने रेल द्वारा की जो मेरी प्रथम रेल यात्रा थी.

चेन्नई जाने का कार्यक्रम

मेरे पिताजी एक सरकारी कर्मचारी हैं. उन्हें छुट्टियों में यात्रा पर जाने के लिए सरकार से भत्ता मिलता है. इस वर्ष ग्रीष्मवकाश में हमने किसी बड़े शहर की यात्रा करने का आयोजन किया. मैंने अपने घर वालों को इस साल चेन्नई जाने की सलाह दी. मेरे पिताजी ने मेरी सलाह स्वीकृत कर ली. हमने रेल द्वारा चेन्नई जाने का निश्चय किया. रेल में जाने की रूचि मुझे बहुत पहले से ही थी क्योंकि इससे पूर्व मुझे अवसर नहीं मिला. इस बार रेल यात्रा करने का मेरा प्रथम अवसर था.

15 मई को स्कूल बंद होने पर 20 मई को हमने चेन्नई जाने का निश्चय किया. दूर जाने के लिए रेलगाड़ी में सीट पहले से ही आरक्षित हो जाते हैं इसलिए मेरे पिता जी ने चार सीटें 20 तारीख के लिए पहले से ही बुक करा दी थीं. परिवार में चार सदस्य हैं – माता-पिता, एक बहिन. अतः बहुत प्रतीक्षा करने के बाद 20 तारीख की वह तिथि आ ही गई. मैं खुशी से फुला न समा रहा था.  

रेलवे स्टेशन का दृश्य

हम 20 मई को प्रातः आवश्यक सामान लेकर टैक्सी द्वारा नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए. वहां दृश्य कोलाहलपूर्ण था. यात्रियों की बहुत भीड़ थी. कोई बाहर आ रहा था. कोई अंदर जा रहा था. प्लेटफार्म पर बैठने के लिए बेंच लगे थे.  लोग उन पर बैठकर अपनी-अपनी गाड़ियों का इंतजार कर रहे थे. कई प्रतीक्षालय में लेटे या बैठे थे. लाल वेशधारी कुली सामान लेने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे. प्लेटफॉर्मों पर नंबर लगे थे. कई गाड़ियां खड़ी थीं. कई गाड़ियां आ रही थीं, कई जा रही थीं.

प्रत्येक प्लेटफार्म पर घड़ी व ध्वनि प्रसारण यंत्र लगे हुए थे जिनके द्वारा यात्रियों को उनकी गाड़ियों के आने-जाने का समय व प्लेटफार्म नंबर बताया जा रहा था. हमारी गाड़ी को प्लेटफार्म नंबर 10 पर आना था. उसका समय प्रातः सात बजे का था. वह आज एक घंटा विलम्ब से आ रही थी, जिसकी सूचना ध्वनि प्रसारण द्वारा हमें मिल गई थी.

यात्रा का अनुभव

हमारी गाड़ी ठीक आठ बजे प्लेटफार्म नंबर 10 पर पहुंची. हमारी सीट आरक्षित थी. हम अपने निश्चित डिब्बे में निर्धारित सीट पर बैठ गये. उस समय दिल्ली से चढ़ने वालों की भीड़ काफी थी. सामान्य डिब्बे में तो इतनी भीड़ थी कि लोग चढ़ नहीं पा रहे थे. हमारा डिब्बा आरक्षित था उसमें कोई भीड़ नहीं थी. थोड़ी देर बाद रेल छुक-छुक करके स्टेशन से चल पड़ी. में खिड़की के पास बैठा था. में वहां से खिड़की से बाहर देखने का आनंद ले रहा था. कितनी अच्छी व चिर-स्मरणीय है रेल यात्रा. अभी हम भीड़ भरे स्टेशन पर हैं जहां काफी चहल-पहल, धक्का-मुक्की हो रही थी. क्षण भर बबाद हरे-भरे खेत, पल भर में गाँव के दृश्य, थोड़ी देर में जंगल, उसके बाद नदी, पुल आदि दिखाई दे रहे थे और हर क्षण में दृश्य बदलते जा रहे थे. मुझे उन दृश्यों को देख कर बड़ा आनंद आ रहा था. अंत में गाड़ी हमारे अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच गयी.  

उपसंहार

यह हमारी यात्रा का भी उपसंहार था, चेन्नई स्टेशन आ गया था. दिल्ली की तरह चहल-पहल थी. कुली सामान के लिए लपक रहे थे. हमने कुली नहीं किया क्योंकि हमारे पास सामान थोड़ा था, जिसको हमने स्वयं उठाया और स्टेशन से बाहर आ गये. यह यात्रा मुझे सदा याद रहेगी.

आपके लिए:-

ये था रेल यात्रा पर निबंध(Essay on Rail Journey In Hindi). अगर आपने कभी ट्रेन से यात्रा की है, तो आपका अनुभव हमारे साथ जरूर साझा करें. यह निबंध आपके लिए सही रहा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले एक नए निबंध में. धन्यवाद.

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