जन्माष्टमी पर निबंध – Essay on janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी पर निबंध – Essay on janmashtami in Hindi

भूमिका

जन्माष्टमी हिन्दुओं का श्रेष्ठतम पवित्र त्यौहार है. क्यूंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए इसको श्री कृष्ण के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है. यह त्यौहार भादौं माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है. हर हिन्दू परिवार इस त्यौहार को बड़े श्रद्धा व भक्ति-भाव से मनाता है. इस पर्व का आध्यात्मिक, धार्मिक व आर्थिक महत्त्व भी है. 

कृष्ण जन्म काल की सामाजिक परिस्थितियां

जिस काल में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, उस समय भारत की सामाजिक परिस्थिति अत्यंत दयनीय थी. यहां के रहने वाले लोगों का चारित्रिक व नैतिक पतन चरम सीमा पर था. स्वार्थपरता, व्यभिचार, भ्रष्टाचार, मादेरापान, जुआ खोरी आदि का सर्वथा बोलबाला था. स्त्रियों, बच्चों व वृद्धों का शोषण पराकाष्ठा पर था. क्षत्रिय लोग पारस्परिक फुट कारण सत्ता लोलुप बन चुके थे. ब्राम्हण चाटुकारिता के गर्त में फंसे थे. उस समय कंस, शिशुपाल, जरासंध जैसे राजाओं का एकाधिकार था. कंस अपने बाप को जेल में डालकर स्वयं राजा बना था और अपनी बहिन व जीजा को कड़ी कैद में बंद किए हुए था. चहुं ओर असुरों का बोलबाला था. ऐसी ही स्थिति अन्य राजाओं के यहां भी थी. इस प्रकार उस काल में धर्म का पूर्ण ह्रास हो चुका था. ऐसी विषम परिस्थितियों में इस पृथ्वी पर भगवान कृष्ण का अवतार हुआ.  

धर्म की पुर्नस्थापना

उस काल में एक ऐसे महापुरुष की आवश्यकता थी जो समाज को शोषण व अत्याचार से मुक्त करा सके. श्री कृष्ण का जन्म इन्हीं परिस्थितियों में हुआ. उस विकट वातावरण में कृष्ण ने अत्याचारियों का नाश कर धर्म की स्थापना की. इसलिए जन्माष्टमी का यह पावन पर्व हमें यह संदेश देता है कि हम कृष्ण द्वारा स्थापित मर्यादाओं का अनुसरण करें. उन्होंने समाज में व्याप्त अनाचार व शोषण के विरुद्ध लड़ने में अपना सारा जीवन लगा दिया. सारे भारत में व्याप्त आसुरी प्रवृत्तियों को नाश करने के लिए उन्हें उन अत्याचारी राजाओं के विरुद्ध युद्ध भी करना पड़ा. इस प्रकार उन्होंने सभी प्रकार की सामाजिक बुराइयों को दूर कर एक सच्चे धर्म की स्थापना की. इसलिए कृष्ण के जन्म दिन को धर्म संस्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

पर्व मनाने की प्रथा

जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सभी कृष्ण भक्त दिन भर व्रत रखते हैं. रात्रि को मंदिरों में व घर में पूजा करके अर्द्ध रात्रि बारह बजे के अनन्तर भोजन ग्रहण करते हैं क्योंकि यह मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म अर्द्ध रात्रि में हुआ था. इस दिन सभी मंदिरों की शोभा निराली रहती है. कई दिन पूर्व से मंदिरों को सजाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. वहां दिन भर भजन, कीर्तन, सत्संग चलता रहता है. श्रद्धालु लोग उक्त कार्यक्रमों में बड़े भक्ति भाव से भाग लेते हैं. इस अवसर पर कहीं-कहीं शाम को सत्यनारायण की कथा होती है. लोग बड़ी श्रद्धा से कथा श्रवण करते हैं. इस प्रकार जन्माष्टमी का दिन सुबह से रात्रि 12 बजे तक विविध धार्मिक कार्यक्रम चलते रहते हैं. शहरों में कृष्ण के जीवन सम्बन्धी झांकियां भी निकाली जाती हैं. कहीं-कहीं मंच बनाकर श्री कृष्ण लीला का आयोजन किया जाता है. 

उपसंहार

श्री कृष्ण ने समाज में मर्यादा की स्थापना की. उसके लिए उन्हें जीवन भर संघर्षों का सामना करना पड़ा. समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने पर्वत को अपने हाथ में उठाया. पर्वत मुसीबतों व कठिनाइयों का प्रतिक है. ऐसी कठिन परिस्थितियों का उन्हें सामना करना पड़ा. अतः हमें भी कृष्ण के जीवन से शिक्षा ग्रहण कर अपने समाज की बुराइयों के विरुद्ध लड़ना चाहिए.

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ये था जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on janmashtami in Hindi). उम्मीद है ये छोटा सा निबंध आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. अगले निबंध में मिलते हैं. धन्यवाद.

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