बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Unemployment essay in Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Essay on unemployment in Hindi): आज आप यहाँ पे बेरोजगारी के बारे सब कुछ जानने को पायेंगे, जैसे की बेरोजगारी क्या है? कितने प्रकार के बेरोजगारी होते हैं? और बेरोजगारी समस्या को कैसे ठीक क्या जा सकता है. तो और देर किस बात की, बिना देर किये चलिये बढ़ते हैं हमारे मुख्य लिख की और जो है बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Unemployment essay in Hindi).

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (450 words) – unemployment essay in Hindi

बेरोजगारी क्या है ? (What is Unemployment in Hindi)

भारत की ज्यादातर युवाओं को शायद बेरोजगारी क्या है समझाना जरूरत नहीं है. क्योंकी सबको पता है हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है गरीबी और बेरोजगारी. और ये बेरोजगारी की वजह से ही गरीबी को इतनी बड़ी पहचान मिल गयी है. तो वास्तव में हम बेरोजगारी किसे कहेंगे, चिंता करने से सिर्फ एक आदमी याद आते हैं वह हैं लोर्ड किनिस. वह कहे थे की “People at any economy desiring work but not finding it according to their qualifications is called unemployment.”

वर्तमान स्थिति में विचार करने की बात ये है की, हमारे देश में शिक्षित लोगों जिस तरह से बढ़ रहे हैं उसी तरह से बेरोजगारी की तादाद भी बढ़ रहे हैं. लेकिन सरकारी या निजी नौकरी संस्था में रिक्त पद का अनुपात बहुत कम होता है. बेरोजगारी युवाओं सब घर पर बैठे नहीं रहते है, उनमें से कुछ आत्म नियुक्ति में व्यस्त रहते हैं. तब ये सब आत्म नियुक्ति क्या है? क्या ये आत्म नियुक्ति बेरोजगारी दूर करने में सहायक नहीं होगा?  फिर सरकारी आकलन अनुसार जाना जाता है कि देश में बेरोजगारी समस्या बिलकुल भी नियंत्रण में नहीं है. तो चलिए जानते हैं बेरोजगारी कितने प्रकार के होते हैं?

बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment in Hindi)

1.     चिंता परिपूर्ण बेरोजगारी

ये सब बेरोजगारी काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते है, लेकिन इन सब के लिए काम नहीं होता है. इस प्रकार के बेरोजगारी सिर्फ दो कारणों से होता है. एक है जनसंख्या वृद्धि और दूसरा है युवाओं का सहर के तरफ चाह कर रहना. क्योंकि की हर युवा ये सोच रहे है की काम सिर्फ सहर पे ही मिलता है.

2.    प्रच्छन्न बेरोजगारी

इस प्रकार के बेरोजगारी थोड़ा जटिल होता है. क्योंकि इस प्रकार के बेरोजगार कहीं न कहीं रोजगार पा जाते हैं , असल में देखा जाये तो इस प्रकार के रोजगार लोगों को विकसित होने के लिए कोई भी सहायता मिल नहीं पाता है.

3.     ऋतुकालीन बेरोजगारी

भारत में, कृषि प्रक्रिया पूरे वर्ष नहीं चलती है. इसलिए किसानों कुछ महीनों तक बेकार हो कर बैठते  हैं.

बेरोजगारी की समस्या को कैसे हल करें? (How to solve the unemployment problem?)

हमारे देश की ज्यादातर युवाओं का समस्या है बेरोजगारी. और प्रायः युवा इस समस्या का संधान सिर्फ नौकरी करके हल करना चाहते है. पर ऐसा कुछ नहीं है हम सब हमारे रचनात्मकता दिमाग से बहुत कुछ कर सकते हैं. हम सब को ये सोचना चाहिए की हम खुद काम करने की बदले में दूसरों को काम दें. जब तक हम सब युवाएं ऐसे सोच नहीं रखेंगे, तो हमारा देश से तबतक बेरोजगारी दूर नहीं होगा. और हम सब को सरकार से ये निवेदन करना चाहिए की जितना हो सके नौकरी पैदा करें.


बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (1000 words) – Unemployment essay in Hindi

प्रस्तावना     

यह दुनिया एक कार्यस्थल है. हर इंसान को यहां कुछ न कुछ करना होता है. जो कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार के काम में शामिल नहीं होता है, उसे बेरोजगार कहा जाता है. खासतौर पर भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है. यह समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में व्यापक है. शिक्षित और अशिक्षित दोनों युवा समूह इस समस्या का सामना किया है. बेरोजगारी हमारे देश की शांति, प्रगति, एकजुटता और समृद्धि में बाधा बन रही है. इसलिए कहा गया है,  “Occupation is the necessary basis of all enjoyment” – Leigh Haunt.

बेरोजगारी के मुख्य कारण क्या हैं?

जनसंख्या वृद्धि दर हमारे देश की आर्थिक विकास दर से बहुत अधिक है इसलिए देश अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादन जनसंख्या वृद्धि के समान दर से नहीं बढ़ पा रहा है. इस बढ़ती आबादी के लिए कृषि में पर्याप्त काम नहीं है. इसलिए आजीविका की तलाश में, कई बेरोजगार ग्रामीण इलाकों को छोड़कर शहरी क्षेत्रों को जा रहे हैं. शिक्षा के प्रसार के परिणामस्वरूप देश में शिक्षित लोगों की संख्या में वृद्धि देश में प्रगति का संकेत है; लेकिन सभी शिक्षित लोगों के पास सही नौकरियां नहीं होने के कारण शिक्षित बेरोजगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. दिन प्रतिदिन बेरोजगारी बढ़ रही है. वर्तमान में, हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 2 करोड़ से अधिक है.

कई कारणों से इस तरह की एक गंभीर समस्या उत्पन्न होती है. इसलिए मशीन सभ्यता कुछ मायनों में इसके लिए जिम्मेदार है. आज जो काम बहुत लोग उच्च लागत पर कर सकते हैं, वह बहुत बड़े कारखाने द्वारा बहुत कम लोगों के साथ और थोड़े समय में सहजता से किया जाता है. हमारे देश में जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार के लिए कारखानों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है. दोषपूर्ण शिक्षा प्रणालियों के कारण ऐसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. जैसा कि अपेक्षित था, हम सब तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे देश में कोई भी शिक्षित व्यक्ति कड़ी मेहनत करके पैसा कमाने के लिए आत्म-निर्भर महसूस करता है. अफसोस की बात है, वे अभी भी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

हमारे देश में कृषि प्रणाली बहुत खराब है. कृषि में, किसान केवल 6 महीने के लिए सक्रिय होते हैं; लेकिन बाकी के 6 महीने बिना काम के बेकार रहते हैं. इसलिए हमारे देश के किसानों की दुर्दशा दयनीय है. किसान सबसे पिछड़े हैं. इसलिए हमारे देश में, बेरोजगारी जैसी गंभीर बीमारी समाज के हर स्तर पर हुई है.

विभिन्न श्रेणियों की बेरोजगारी

हम आमतौर पर दो तरह की बेरोजगारी देखते हैं. पहली है स्वैच्छिक बेरोजगारी (Voluntary unemployment) और दूसरी है अनैच्छिक बेरोजगारी (Involuntary unemployment).  लेकिन बेरोजगारी को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है.

  1. चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment) :

यह पूंजीवादी व्यापार और वाणिज्य के मामले में होता है. कभी-कभी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को कार्य से निकाल दिया जाता है. ऐसी स्थिति आमतौर पर तब उत्पन्न होती है जब व्यापार में खराब स्थिति होती है.

  • आकस्मिक बेरोजगारी (Sudden Unemployment) :

कार्यस्थल में अचानक परिवर्तन होने पर आकस्मिक बेरोजगारी उत्पन्न होती है. यह आमतौर पर उद्योग, वाणिज्य और व्यापार के मामले में होता है. जब कोई विशेष कार्य अचानक समाप्त हो जाता है, उस समय कई लोगों को निकाल दिया जाता है.

  • विफलता उद्योगों की वजह से बेरोजगारी (Unemployment caused by failure Industries) :

ऐसी बेरोजगारी की समस्या तब होती है जब कोई उद्योग बंद होने की कगार पर आ जाता है. इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं. साझेदारों के बीच संघर्ष, व्यापार में भारी नुकसान या व्यावसायिक महत्व की हानि और विभिन्न अन्य कारण इस समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.

  • उद्योग और व्यापार में गिरावट के कारण बेरोजगारी (Unemployment caused by deterioration in Industry and Business) :

कभी-कभी विभिन्न प्रकार के उद्योगों, वाणिज्य और व्यापार में अचानक गिरावट आती है. इसके लिए विभिन्न कारण जिम्मेदार हैं. कर्मचारी की अक्षमता, मजबूत प्रतिस्पर्धा, कम लाभ, आदि के कारण उद्योग और व्यवसाय इस तरह की बेरोजगारी का सामना करते हैं.

  • मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) :

कुछ उद्योग और वाणिज्य अपने कर्मचारियों को वर्ष के विशिष्ट मौसम या समय के लिए नियुक्त करते हैं. जब समय सीमा समाप्त हो जाती है, तो उन कर्मचारियों को निकाल दिया जाता है. चीनी उद्योग इसका एक उदाहरण है.

बेरोजगारी के कुछ विशेष कारण

कई समस्याओं ने इस बेरोजगारी की समस्या पैदा की है. इसके कुछ व्यक्तिगत कारण हैं. इसके लिए अधिक उम्र, व्यावसायिक अक्षमता, शारीरिक विकलांगता आदि जिम्मेदार हैं. बाहरी कारकों में तकनीकी जानकारी और वित्तीय प्रणाली शामिल हैं. अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अर्थनीति में सुधार करती है, बेरोजगारी के कुछ के लिए कम्प्यूटरीकरण जिम्मेदार है.

बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए उपाय

जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण बेरोजगारी को खत्म करने में मदद कर सकता है. लेकिन बेरोजगारी को खत्म करने का यह एकमात्र तरीका नहीं है. शिक्षा नीतियों को बदलना और शिक्षित युवाओं के दृष्टिकोण को बदलना इस दिशा में विशेष रूप से सहायक हो सकता है. यद्यपि विभिन्न शिक्षा आयोगों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की सिफारिश की है, लेकिन अभी तक इसका विस्तार नहीं हुआ है. जहाँ भी व्यावसायिक शिक्षा दी जाती है, वह प्रतिबद्धता और ईमानदारी की कमी के कारण यह शिक्षा फलदायी नहीं हो पा रही है. इसलिए, ऐसे युवाओं युवतियों के बहुत कम उदाहरण हैं जिन्होंने अपनी व्यावसायिक शिक्षा पूरी कर ली है और वे स्व-नियोजित हैं और किसी भी पेशे में लगे हुए हैं. इसलिए यदि व्यावसायिक शिक्षा को सार्वजनिक किया जा सकता है और बच्चे को शुरू से ही इससे जोड़ा जाता है, तो वह भविष्य में जीविका कमाने में सक्षम हो सकता है.

सरकार की योजना

सरकार देश से बेरोजगारी मिटाने के लिए काम कर रही है. आजकल, कई शिक्षित और अर्ध-शिक्षित लोगों को कुटीर उद्योग बनाने या चलाने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से सहायता मिलता है. इन सभी योजनाओं को राज्य उद्योग विभाग के तहत विभिन्न जिला औद्योगिक केंद्रों और राष्ट्रीय करण बैंकों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.इसके अलावा, ग्रामीण श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं. इन सभी योजनाओं को पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभागों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.

उपसंहार

प्राचीन भारतीयों ने पेशे के प्रभुत्व को देखते हुए व्यापार और कृषि के पीछे सरकारी नौकरी को रखा था. लेकिन समय बीतने के साथ सरकारी नौकरी ज्यादातर लोगों की पसंदीदा पसंद बन गई है. बेरोजगारी काफी हद तक मिटने की उम्मीद है अगर ज्यादातर लोग अपनी मानसिकता को बदल दें और कृषि, उद्योग, वाणिज्य या कई अन्य नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करें.

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ये था बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (essay on unemployment in Hindi). उम्मीद है बेरोजगारी की समस्या के ऊपर लिखा गया ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो इस लेख को शेयर करना न भूलें. मिलते हैं अगले लेख में. धन्यवाद.

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