Corruption essay in Hindi – भ्रष्टाचार पर निबंध

Corruption Essay in Hindi: भ्रष्टाचार एक सामाजिक समस्या है जो भारतीय समाज के विकास और प्रगति में बाधक है। यह समस्या समाज के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे राजनीति, शिक्षा, न्यायपालिका, व्यवसाय और सार्वजनिक सेवाओं में पाई जाती है। भ्रष्टाचार देश की संपत्ति, सामाजिक न्याय और लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption essay in Hindi

प्रस्तावना

किसी अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति का काम घुस लेकर गैर-कानूनी ढंग से करना भ्रष्टाचार कहलाता है. इसमें अधिकारी अपने कर्त्तव्य से विमुख होकर दूसरे का काम करता है और इसके लिए मुआवजा लेता है. व्यापक अर्थों में कर्त्तव्यों की अवहेलना भ्रष्टाचार के अन्तर्गत आती है.

भ्रष्टाचार की सर्वव्यापकता

भ्रष्टाचार न भारत के लिए नया है और न ही इसे आधुनिक युग की देन कहा जा सकता है. केवल मात्रा में अंतर के आधार पर ही हम इसकी बात कर सकते हैं. प्राचीन काल में राजा-महाराजाओं की कृपा से ही काम होते थे. उस समय चापलूसी के रूप में भ्रष्टाचार विद्यमान था. चाणक्य ने अपने ग्रन्थ ‘अर्थशास्त्र’ में दो हजार वर्ष से पूर्व भारत में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी सजा की व्यवस्था की थी. राजा ने एक बार चाणक्य से पूछा कि क्या उसे पूरा यकीन है कि उसके अधिकारी और कर्मचारी जनता से जितना धन कर के रूप में वसूलते हैं, वह समूचा सरकारी खजाने में जमा हो जाता है? चाणक्य ने बड़े गंभीर स्वर में उत्तर दिया, “राजन! रानी मक्खी के आदेश पर श्रमिक मक्खियाँ फूलों से मधु एकत्र करके उसके छत्ते में जमा करती हैं. ऐसा करते समय रास्ते में वे कितना मधु स्वयं खा लेती हैं, कौन बता सकता है? इसका स्पष्ट अर्थ है कि उस प्राचीन काल में भी कुछ-न-कुछ भ्रष्टाचार अवश्य था, तभी कड़ी सजा की व्यवस्था और इस प्रकार के शक की गुंजाइश थी. जब किसी व्यक्ति के पास दूसरों की आवश्यकता को पूरा करने की शक्ति होती है, तो लाभ पहुँचाने के बदले वह कुछ-न-कुछ धन प्राप्त करता ही है. जब तक इसे समाज और देश के कानूनों से मान्यता प्राप्त रहती है, यह उचित है. इसके बाहर यह भ्रष्टाचार कहलाता है. महान राष्ट्र और बड़ी-बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियाँ और एजेन्सियाँ तक अपने लाभ के लिए भ्र्ष्टाचार का सहारा लेती हैं. 

भारत में स्थिति  

भारत में आजकल भ्रष्टाचार का सर्वत्र बोलबाला दिखाई देता है. राष्ट्रीय गतिविधियों का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा छूटा हो, जहाँ भ्रष्टाचार न हो. बिना घूंस दिए हम शायद ही कोई काम किसी दफ्तर से करा सकें. न्यायोचित कामों को भी शीघ्र कराने के लिए हमें मुट्ठी गर्म करनी पड़ती है. किसी बड़े अधिकारी से चपरासी के हाथ में कुछ थमाये बिना हम शायद ही भेंट कर सकें. ऐसा लगता है कि घुस के बिना कुछ भी करा पाना संभब नहीं है. और ये कड़वा सच है.

कोई ईमानदार व्यक्ति आज भारत में खुली हवा में सांस तक नहीं ले सकता. चाहे रेलों में यात्रा का प्रश्न हो, स्कूलों में दाखिले की आवश्यकता हो अथवा कचहरी में कोई काम हो, घुस के बिना काम नहीं चलता. यह तो संभब है कि आप स्वयं घूंस न लें, लेकिन बिना घूंस दिए सरकारी कार्यालयों में प्रार्थनापत्र आदि एक मेज से दूसरी मेज तक नहीं पहुँचते. घूंस का पहिया लगाकर जितनी जल्दी चाहो, काम पूरा हो सकता है.

भ्रष्टाचार के कारण

आज के युग में व्याप्त भ्रष्टाचार के अनेक कारण है. सबसे पहला कारण सदियों की गुलामी से देश का नैतिक पतन है. दूसरा प्रमुख कारण यह है कि हमारे नेताओं ने आजादी के बाद हमारे सामने ईमानदारी की कोई अच्छी छवि नहीं रखी. आये दिन संसदों और विधानमण्डलों में उनके भ्रष्टाचार में लीन होते जा रहे हैं. देश के कानूनों में जटिलता, लाल फीताशाही, कोटा, परमिट, कंट्रोल और लाइसेंसों की प्रथा ने भी भ्रष्टाचार को व्यापक रूप से फैलाने में बड़ी मदद की है. 

समस्या का समाधान

भ्रष्टाचार पर कारगर नियंत्रण के बिना देश की उन्नति नहीं हो सकती. भ्रष्टाचार के कारण देश की योजनाओं का लाभ गरीब जनता तक नहीं पहुँच पाता. अतः इसे देश से समूल नाश करने की बड़ी आवश्यकता है. इसका समाधान आसान नहीं है. इसके लिए हमें जनता का नैतिक बल बढ़ाकर उनका चरित्र-निर्माण करना पड़ेगा. राष्ट्रीय नेताओं को अपनी ईमानदार और उज्जवल छवि प्रस्तुत करनी पड़ेगी, तभी वे कड़ाई से इसके खिलाफ व्यापक अभियान चला पायेंगे. सभी लोगों को मिलकर देश में एक ऐसे स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना चाहिए जिसमें ईमानदार व्यक्ति सम्मानित हो सकें और बेईमान तथा भ्रष्टाचार लोगों का पर्दाफाश करके उन्हें समाज से बहिष्कृत किया जाये. लोगों को प्रण लेना चाहिए कि वे अपनी तनिक सुविधा के लिए किसी प्रकार की घुस नहीं देंगे.

उपसंहार

भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के बाद हमारा देश अपना खोया हुआ गौरव आसानी से पा सकेगा और हम संसार के समक्ष अपना सिर गर्व से पुनः ऊँचा उठा सकेंगे.

भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है जिसका समाज में गहरा प्रभाव होता है। इसके निवारण के लिए सभी समाज के सदस्यों को मिलकर काम करना आवश्यक है। न्याय, ईमानदारी, और सशक्त संविदानिक प्रणाली के माध्यम से हम भ्रष्टाचार को परास्त कर सकते हैं और समृद्धि की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

तो ये था हमारा लेख भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption essay in हिंदी) कैसे लिखें। उम्मीद है ये लेख पढ़ने के बाद आप भ्रष्टाचार पर अच्छे से निबंध लिख पाएंगे।

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