विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध: विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की अहम भूमिका होती है। विद्यार्थी को अनुशासन को अपना ही एक अंग समझना चाहिए। अनुशासन न केवल जीवन में नैतिकता को बढ़ावा देता है बल्कि समृद्धि और सफलता की ओर दिशा देता है। विद्यार्थी को ये समझना जरूरी है की अनुशासन न केवल अध्ययन में सहायक होता है, बल्कि वह उन्हें समाज में भी सफल बनाने का मार्ग दिखाता है।
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध
प्रस्तावना – भगवान की रचना में अनुशासन – विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की आवश्यकता एवं प्रभाव – अनुशासन की कमी से नुकसान – अनुशासन अर्जन के उपाय – दिनचर्या में अनुशासन – उपसंहार
प्रस्तावना
विद्यार्थी जीवन को सुन्दर, सुव्यवस्थित एवं सर्वांगीण बनाने के लिए आवश्यक अनेक गुणों में से एक है अनुशासन। अनुशासन का अर्थ उचित आचरण है। अनुशासन हर कार्य की सफलता का आधार है। समाज में रहने के लिए लिखित और अलिखित सामाजिक रूप से स्वीकृत नियमों का पालन करना ही अनुशासन है। शिष्टाचार एवं मानवीय गुणों से संचालित होना भी अनुशासन कहलाता है। छात्र घर और स्कूल में समय बिताते हैं। वह कार्यशैली अपने परिवार और स्कूल से सीखता है। यदि उसका व्यवहार सीमांत है तो उसे अनुशासित छात्र माना जाता है। अतः अन्य प्रकार से शील की रक्षा को ही अनुशासन कहा जाता है। एक अनुशासित व्यक्ति ही सही मायने में शिक्षित होता है। अनुशासन सफलता की कुंजी है। जीवन के हर कदम पर अनुशासन जरूरी है।
भगवान की रचना में अनुशासन
जनसाधारण का मानना है कि हमारा निवास पृथ्वी है और ब्रह्मांड ईश्वर की रचना है। अनन्त रात्रि आकाश में असंख्य तारामंडल दिखाई देते हैं। ग्रह, उपग्रह अपनी-अपनी कक्षाओं में घूम रहे हैं। गहरा जल धारण करने वाला महान महासागर अपने स्थान पर है। गर्मी के मौसम में ठंडी बारिश ताज़गी देने वाली होती है। मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन समय के साथ सहसंबद्ध होते हैं। प्रकृति की अवस्था में सभी कार्य नियत समय पर होते हैं। सारा कार्य अनुशासन से होता है। यह मानव को अनुशासन सिखाने के लिए एक दृष्टान्त है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की आवश्यकता एवं प्रभाव
अनुशासन विद्यार्थी जीवन का महान गुण होना चाहिए। यह जीवन की दिशा को पूरी तरह से बदल देता है। प्राथमिक विद्यालय में दाखिला लेने के बाद बच्चा स्कूल जाता है और समय पर घर लौट आता है। स्कूल के कार्यक्रमों का पालन करता है। ये सब उसके लिए अनुशासन हैं। अनुशासन का विद्यार्थियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। आदर्श जीवन एवं लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनुशासन आवश्यक है।
अनुशासन की कमी से नुकसान
इस आधुनिक समाज पर नजर डालने से अराजकता के राज का पता चलता है। यह देखा जा सकता है कि परिवार, गाँव, शहर, राज्य, देश और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अराजकता फैल गई है। अनुशासन की कमी से पारिवारिक अशांति, राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद, हत्या, लूटपाट, अन्याय, भ्रष्टाचार आदि पैदा होते हैं। अनुशासन के अभाव में शांति खो जाती है, प्रसन्नता चली जाती है। अशांति के विचार से ही मनुष्य बेचैन हो जाता है। अराजकता के प्रभाव से विद्यार्थी भी मुक्त नहीं है।
अनुशासन के अभाव में जीवन कष्टमय है। जिस व्यक्ति के पास लक्ष्य का अभाव होता है वह सदैव असफलता के घेरे में रहता है। दुःख-निराशा रूपक काले बादल की छाया उसके जीवन के आकाश पर छा जाती है। पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन कष्टमय हो जाता है। देश उपयुक्त नागरिकों एवं नेतृत्व से वंचित होता है। अनुशासन की कमी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर झटका है। अनुशासन के बिना जीवन पायलट के बिना जहाज के समान है।
अनुशासन अर्जन के उपाय
अनुशासन के बिना जीवन मूल्यहीन है। अनियंत्रित जीवन कोई जीवन नहीं है। अनुशासित रहने के लिए विद्यार्थिओं को विभिन्न क्षेत्रों में अनुशासन का ज्ञान हासिल करना होगा।
विद्यार्थी का पहला कर्तव्य पढ़ाई करना है। जब पढ़ाई अनुशासन के साथ किया जाता है तो इससे विद्यार्थी को सफलता मिलती है। इसलिए विद्यार्थियों को कक्षा की पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
स्कूली जीवन में कक्षा अनुशासन का पहला स्तर है। विद्यार्थी शिक्षकों से बहुत प्रभावित होते हैं। कक्षा में शिक्षक की समय पर उपस्थिति, शिक्षण का सफलतापूर्वक समापन छात्रों को अनुशासित रखने में मदद करता है। कक्षा में शिक्षक की उपस्थिति और कक्षा छोड़ने पर सम्मान करना अनुशासन के उदाहरण हैं। कक्षा अनुशासन बनाए रखने में मॉनिटर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
खेल विधाएँ शिक्षा के प्रत्यक्ष क्षेत्र हैं। समूह व्यायाम और खेल में नियमों का पालन करना ही अनुशासन है। विद्यार्थी को खेल शिक्षक या रेफरी के आदेशों का शीघ्रता से पालन करना चाहिए।
एनसीसी, स्काउट्स, बालचर, गाइड्स आदि संगठनों में भाग लेने से छात्र अनुशासित होकर उचित अभिविन्यास प्राप्त करते हैं।
विद्यार्थिओं को स्कूल सभाओं और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अनुशासन से परिचित कराया जाता है। विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि में विद्यार्थियों का अनुशासन उनकी सीमांत रुचि एवं शालीनता का प्रदर्शन है।
दिनचर्या में अनुशासन
यदि विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में अनुशासित रहें तो उनका और देश का कल्याण हो सकता है। एक सही समय पर उठना, व्यायाम करना, खाना, पढ़ना, खेल खेलना और सोना उनके लिए अच्छा है।
उपसंहार
आज के अस्त-व्यस्त समाज को सुव्यवस्थित करने के लिए प्राथमिक स्तर से ही प्रयास करना वांछनीय है। यह परिवार, स्कूल और समाज की जिम्मेदारी है कि वे उन छात्रों को अनुशासित करें जो भविष्य में देश का नेतृत्व करेंगे। अनुशासित विद्यार्थी ही देश के वास्तविक संसाधन हैं; इसलिए यदि विद्यार्थी अपने उत्तरदायित्व एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक हों तो समाज को अनुशासित किया जा सकता है। जीवनी के अध्ययन एवं धर्मग्रन्थों के पठन-पाठन से अनुशासित जीवन संभव हो सकता है।
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तो ये था विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध। विद्यार्थी को अनुशासन में रहने के महत्व को समझना चाहिए और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। मुझे आशा है कि इस निबंध को पढ़ने के बाद आप समझ गये होंगे कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन क्यों महत्वपूर्ण है।