विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध

विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध: एक बच्चा जन्म से लेकर मृत्यु तक जिन कई चरणों से गुजरता है, उनमें सबसे संवेदनशील चरण किशोरावस्था है। इसी दौरान उसका विद्यार्थी जीवन व्यतीत होता है। और छात्र जीवन के दौरान वह इसी समय अनजाने में राजनीति में प्रवेश कर जाता है। आज का विद्यार्थी कल के भारत का मार्गदर्शक और नियामक है। उनमें कोई, शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासक, राजनीतिक नेता, वैज्ञानिक आदि बनेंगे। उसे आज से ही कल की तैयारी करनी होगी। विद्यार्थी समाज स्वयं को शैक्षणिक संस्थान के सीमित वातावरण तक सीमित नहीं रखना चाहता है। देश की मौजूदा स्थिति उन्हें राजनीति में भाग लेने के लिए मजबूर करती है।

विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध

प्रस्तावना

जो आज विद्यार्थी हैं वही कल देश और राष्ट्र को संभालेंगे। उनका आदर्श चरित्र, कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता, मजबूत राजनीतिक चेतना देश और राष्ट्र को महान बनायेगी। छात्रों की मानसिक जागरूकता वर्तमान में सीमित नहीं है। यह बहुत दूरगामी है। अब लगभग विद्यार्थियों को राजनीति का ज्ञान हो गया है। आज कल के हर व्यक्ति अपने देश और दुनिया की राजनीतिक चेतना से अवगत हैं। आज के सभ्य लोग मानवीय स्तर पर राजनीति पर चर्चा कर रहे हैं; लेकिन आम लोगों से ज्यादा छात्र समुदाय राजनेताओं को सही प्रतिक्रिया दे रहा है। आज विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई के दायरे में रहकर समय बिताने की इच्छा नहीं है। आज वह सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने के लिए बेचैन हैं। आज वह देश और राष्ट्र के निर्माण में स्वयं को शामिल करने के लिए व्याकुल है।

राजनीति में छात्रों की भागीदारी को लेकर अलग-अलग राय सामने आती रहती है।

पहली राय:

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अनेक प्रश्न उठे हैं। यह एक सामान्य प्रश्न है कि छात्रों को राजनीति में भाग लेना चाहिए या नहीं। कई लोगों के अनुसार राजनीति दुष्टों की अंतिम शरणस्थली है। उनकी राय में, राजनीति का अध्ययन छात्र समुदाय को प्रदूषित करता है। यह उन्हें भ्रष्ट होने के लिए प्रेरित करता है। सक्रिय राजनीति में भाग लेने से विद्यार्थी अपने मूल आदर्शों को भूल जाता है। इसलिए विद्यार्थियों को राजनीति में भाग न लेकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।

दूसरी राय:

अन्य लोग विभिन्न तर्कों के साथ उपरोक्त पुराने जमाने के दृष्टिकोण का खंडन करते हैं। उनके अनुसार आधुनिक युग में लोगों को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने में राजनीति का योगदान अद्वितीय है। एक सभ्य एवं स्वतंत्र देश में शिक्षा एवं संस्कृति के विकास के लिए राजनीति की आवश्यकता अनिवार्य है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधीजी ने देश के छात्र समाज से राजनीति में भाग लेने का आह्वान किया। दूसरी ओर, अंग्रेज सरकार के समर्थक भी इसका परहेज करने की प्रेरणा देते थे। वर्तमान में सत्तारूढ़ दल बार-बार राजनीति से मुक्ति की मांग करता है, जबकि गैर-शक्तिशाली राजनीतिक दल या विपक्षी दल छात्रों से राजनीति में भाग लेने का आह्वान करते हैं।

तीसरी राय:

दूसरों का सुझाव है कि छात्रों को राजनीतिक जीवन के सभी लाभों को पूरी तरह से महसूस करने का अवसर दिया जाना चाहिए। राजनीति एक विदेशी और निषिद्ध विषय है – यह हमेशा मूर्खों की राय होती है। बदलते परिवेश में विद्यार्थियों को राजनीति में भाग लेने से न रोककर बल्कि ज्ञान के साथ पढ़ाई में लगाकर उन्हें राजनीति के अच्छे आदर्शों से प्रेरित करने की आवश्यकता है। इसलिए स्कूल और कॉलेज स्तर पर छात्रों के पाठ्यक्रम में राजनीति विज्ञान को शामिल किया जाना चाहिए। उनके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विचार मातृभूमि की सेवा के लिए समर्पित होने चाहिए। छात्रों के लिए राजनीतिक ज्ञान आवश्यक है; लेकिन राजनीति बगावत नहीं।

चौथी राय:

राजनीति जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकती। इस दुनिया में राजनेताओं द्वारा देखे जाने वाले रंगीन सपनों से कई गुना बेहतर तरीके से लक्ष्यों के प्रति खुद को समर्पित करने के तरीके मौजूद हैं। राजनीति हमेशा गरीबों की शरणस्थली नहीं होती। गांधीजी, नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे राजनेताओं के लिए राजनीति जीवन का पहला आश्रय थी। सर्वोत्तम मार्ग के रूप में राजनीति की स्थिति सर्वोच्च स्तर पर राष्ट्र, राष्ट्र के व्यापक हितों से निर्धारित होती है। आज राजनीति और देशभक्ति लगभग एक ही चीज़ मानी जाती है। यदि विद्यार्थियों स्कूल के दिनों से ही अपने देश के प्रति प्रेम विकसित हो जाए तो वे भविष्य में देश और राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाएंगे। यदि स्कूल और कॉलेज में उचित राजनीतिक सोच का प्रशिक्षण दिया जाए तो वे भावी जीवन में निस्वार्थ राजनेता बन सकते हैं। विद्यार्थी जीवन भावी जीवन को बेहतर और अधिक उत्पादक बनाने की प्रेरणा देता है। इस जीवनकाल में विद्यार्थी का पहला कर्तव्य पढ़ाई करना है। इसके अलावा विश्व के विभिन्न राजनीतिक विचारों पर आधारित पुस्तकों का अध्ययन कर उनसे अवगत होना भी विद्यार्थी का कर्तव्य है। बिना गहन विचार-विमर्श के किसी भी राय से आँख मूँद कर प्रेरित नहीं होना चाहिए। किसी भी मत की आलोचना करना उसका कर्तव्य नहीं है। विश्व की विभिन्न राजनीतिक घटनाओं का गहराई से विचार करके विश्लेषण करना चाहिए। इससे विद्यार्थी की सोच का दायरा बढ़ता है और वह भविष्य में देश की सेवा के लिए एक योग्य सैनिक के रूप में तैयार होता है।

नेतृत्व की महत्वाकांक्षा:

कई राजनीतिक नेता शक्ति का गलत इस्तेमाल करके निजी हितों में लगे हुए हैं। एक बार मंत्री और विधायक बनने के बाद कुछ लोग जीवन भर पैसा बचाने में व्यस्त रहते हैं। उन मंत्री और विधायक की स्पष्ट आर्थिक स्थिति को देखकर कई छात्र राजनीति में भाग लेने और नेतृत्व संभालने के लिए उत्सुक रहते हैं। भ्रष्ट, गंदी राजनीति आज छात्रों को निशाना बना रही है। विद्यार्थी अपनी असल जिंदगी को भूल गये हैं और ऐसी राजनीति के पीछे भाग रहे हैं।

राजनीतिक दलों के नुकसान:

विभिन्न राजनीतिक दलों का कुप्रभाव आज छात्र समुदाय को निशाना बना रहा है। आज छात्र कई समूहों में बंटे हुए हैं। उनमें एकता नहीं है। जैसे नेता नचाते हैं वैसे ही कुछ छात्र समाज में नाच रहे हैं। उस समय वे अपने आदर्शों, कर्तव्यों तथा हितकारी ज्ञान को भूल जाते हैं। इससे छात्र समाज और देश को खतरा है। इसलिए छात्र समाज को इस तरह की राजनीति से खुद को दूर रखना चाहिए।

विद्यार्थी के कर्तव्य:

स्वतंत्र भारत में विद्यार्थियों का कर्तव्य बहुत महान है। विद्यार्थी जीवन भविष्य की तैयारी का समय होता है। अतः छात्र जीवन की इस सीमित अवधि को देश एवं राष्ट्र के व्यापक हितों के लिए समर्पित किया जाना चाहिए। यदि उन्हें स्कूल और कॉलेज स्तर से अनुशासित किया जाए तो वे मातृभूमि की सेवा करने में सक्षम होंगे। छात्रों को देश के सामाजिक और संगठनात्मक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह उनके चरित्र को सही आकार देने में मदद करता है।

छात्रों को स्कूल और कॉलेज की परिसर में राजनीति में सीधा प्रशिक्षण दिया जा सकता है; लेकिन किसी भी बाहरी राजनीतिक दल को उनमें बाधा नहीं डालनी चाहिए या उनके कर्तव्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह सच है कि विद्यार्थी पढ़ाई पर अधिक ध्यान देते हैं। किसी को भी उन्हें अध्ययन रूपी तपस्या से रोकना नहीं चाहिए। यह सिर्फ राजनीतिक विचारधारा नहीं है जो उनके लक्ष्यों को भ्रष्ट करती है; वे फिल्मों, संगीत और अन्य कार्यक्रमों से प्रभावित होते हैं। यद्यपि वे छात्रों के जीवन के निर्माण में योगदान देते हैं, लेकिन अत्यधिक निष्क्रिय होने के कारण वे पाठों में उदासीन हो जाते हैं।

अब राजनीतिक माहौल प्रदूषित हो गया है। विभिन्न दलों के बीच संघर्ष जारी है। हर दल में अप्रभावित समूह होते हैं। वे देश के सामूहिक हितों को न देखकर अपनी पार्टी के हितों और स्थिति को देख रहे हैं। इसलिए छात्रों को इस तरह की गंदी राजनीति से दूर रहना चाहिए।

निष्कर्ष

बेशक, छात्रों को वर्तमान राजनीतिक माहौल से मुक्त नहीं किया जा सकता है। इससे वह आधुनिक विश्व चेतना से वंचित हो जायेगा। इस सन्दर्भ में विद्यार्थी को अपनी बुद्धि से उचित मार्ग का चयन करना चाहिए। विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह राजनीति के विभिन्न दृष्टिकोणों का समुचित विश्लेषण कर राजनीतिक चेतना से जागृत हो। उन्हें प्रत्यक्ष राजनीति में भाग लेने के बजाय राजनीतिक आदर्शों से प्रेरित होकर अपने भावी जीवन को आकार देने के लिए अपनी कार्यशैली का चयन करना चाहिए।

आपके लिए: –

तो दोस्तों ये था विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध। और मुझे उम्मीद है की ये निबंध पढ़ने के बाद आप विद्यार्थी और राजनीति पर एक अच्छा निबंध लिख सकेंगे।

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